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बेहतरीन अदाकारी ऋतिक की,बदले और प्यार की दिल को छू जाने वाली 'काबिल' कहानी ( स्टार ३ )

         कहते हैं किसी की  शारीरिक अक्षमता को  अक्षमता नहीं समजना चाहिए, उसमे कुछ कमी है, तो दूसरी अन्य क्षमता और दुरुस्त होंगी, काबिल की काबिलियत भी कुछ ऐसी ही नज़र आयी, जैसे प्यार अंधा नहीं होता है, बदला भी । 
 
फिल्म : काबिल 
श्रेणी : रोमांटिक थ्रिलर
निर्देशक : संजय गुप्ता
स्टार   : 3/5
 कास्ट  ; ऋतिक रोशन, यामी गौतम,रोहित रॉय, रोनित रॉय
निर्माता : राकेश रोशन
संगीत    : राजेश रोशन
 
      बात करते है कहानी की रोहन भटनागर (ऋतिक रोशन) अंधा जिसका रिश्ता आता है, जिसे देखने के लिए वह निकल पड़ता है, और फिर मुलाक़ात होती है  सुप्रिया (यामी गौतम) जो खुद भी ब्लाइंड है । पहली ही मुलाकात में रोहन उसे इम्प्रेस कर देता है और पहले प्यार भी जल्द ही दोनों की शादी हो जाती हैं, दोनों का प्यार अभी परवान चढ़ने की कोशिश कर ही रहा था की माधवराव शेलार (रोनित रॉय) और अमित शेालर (रोहित रॉय) की नज़र लग जाती हैं, माधवराव इलाके के कॉर्पोरेटर हैं उनके भाई अमित का दिल सुप्रिया पर आ जाता है, और अमित अपनी जवानी के जोश और सुप्रिया के ब्लाइंड होने का फायदा उठाने की कोशिश नहीं बल्कि सुप्रिया का बलात्कार कर बैठता है और इनकी प्यार की कहानी में और अँधेरा छा जाता हैं, पुलिस के पास गुनाह दाखिल करने जाते है तो पुलिस भी माधवराव और अमित  का साथ देती है, इससे दोनों और टूट जाते हैं हद्द तो तब हो जाती हैं  जब अमित दौबारा सुप्रिया का रेप करता है, जिससे सुप्रिया आत्महत्या कर देती हैं । अब एक ब्लाइंड कैसे गुनाहगारों से बदला लेता हैं, बेशक आपको सिनेमागृह का रूख करना होंगा ।  
      बात करते है अभिनय की ऋतिक रोशन की काबिले तारीफ करनी होंगी, एक अंधे व्यक्ति का किरदार बड़ी ही खूबसूरत से निभाया हैं, आपको एक क्षण पर भी नहीं लगेगा की रोहन नहीं ऋतिक रोशन हैं, साथ ही सुप्रिया ( यामी ) ने भी उनका खूब साथ दिया, रोनित रॉय का अभिनय सरहानीय है पर थोड़े फीके नज़र आये वह हैं रोहित रॉय । नरेंद्र झा और सुरेश मेनन ने भी अच्छा प्रदर्शन किया । 
       अब बात करते है निर्देशक की संजय गुप्ता की लास्ट फिल्म जज़्बा से जज़्बा टूट चूका था, पर सेट पर जब एक नहीं दो डायरेक्टर मौजूद हो, अरे भाई  राकेश रोशन ( निर्माता ) है पर वह भी तो कई फिल्मो के निर्देशक रह चुके हैं , संजय गुप्ता का निर्देशन इस बार काबिले तारीफ  हैं, किसी की कमजोरी का फायदा उठाने से नुकसान किसका होता है बड़ी ही आसान तरीके से बताया हैं एक अंधे व्यक्ति की किताब आपके सामने रख दी हो, वह कैसे सूंघ पर पहचान लेते है, कैसे चलते हैं, उनकी पढ़ाई, यहाँ तक बात करने का तरीका, संजय गुप्ता ने हर उस चीज को परदे में उतरने की सफल कोशिश की हैं । 
    बात करते हैं संगीत की फिल्म का टाइटल ट्रैक 'मैं तेरे काबिल हूँ या' काफी पसंद किया जा रहा हैं, अन्य गाने भी अच्छे है, बैकग्राउंड स्कोर अच्छा  ही  है।
        आप फिल्म एक बार जरूर देखे आपको यह एहसास हो जायेगा की किसी की कमजोरी को कभी कमजोर नहीं समजना चाहिए । 
 
पुष्कर ओझा